पलकों के पर्दों से देखा तुझे था वहाँ
उस पल से गुम है ना जाने दिल ये कहाँ ?
तू नदियाँ
मैं सागर
है तय मिलना यहाँ ,
हवा तू
मैं बादल
ले चल मुझको जहाँ ।
दिल की सारी जो ये बातें है
बयां ना हो वो जज्बातें है
जो ये तेरी मेरी मुलाकाते है
क्या कहूँ , क्या कहूँ ।
मेरे दिन औ मेरी जो रातें है
तेरे प्यार की ही सौगातें है
ये जो अनकही की सब बातें है
क्या कहूँ , क्या कहूँ ।
जिस दिन से तूने छुआ
उस दिन से तेरा हुआ
मैं तुझमे नए खुद से हूँ मिला,
दिल से है निकली दुआ
तुझसे है कौन हुआ
मेरा मन तेरी ओर चला ।
मैं धरती
तू सावन
बरस जा मुझ पे ,
मैं बगिया
फ़िज़ा तू
ठहर जा मुझ में ।
दिल की सारी जो ये बातें है
बयां ना हो वो जज्बातें है
जो ये तेरी मेरी मुलाकाते है
क्या कहूँ , क्या कहूँ ।
मेरे दिन औ मेरी जो रातें है
तेरे प्यार की ही सौगातें है
ये जो अनकही की सब बातें है
क्या कहूँ , क्या कहूँ ।
निशांत चौबे ‘अज्ञानी;
०३.०२.२०२२