बदलाव

सपने थे जो सारे सच है किए
शर्तों पर हम हमेशा अपने जिए ।

हम है सबसे काबिल
हम है हर घर शामिल
हम है उजाले की मंजिल ।

हम सा है कौन यहाँ
हम है तो है ये जहाँ
हम ही बदलते समय के निशां ।

आओ मिलकर कदम बढ़ाएँ
आओ मिलकर सबको दिखाएँ ,
आओ मिलकर देश बनाएँ हम ।
आओ मिलकर तम को हटाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
आओ मिलकर कल को सजाएँ हम ।

जमाना बदल रहा बदलाव को अपनाना है हमें
बदल रहे हम भी हमने भी ये ठाना है हाँ ,
जो भी है सपने अब सब सच हो जाएँगे
धरती से उठकर हम नभ पे अब छाएँगे ।

आओ मिलकर कदम बढ़ाएँ
आओ मिलकर सबको दिखाएँ ,
आओ मिलकर देश बनाएँ हम ।
आओ मिलकर तम को हटाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
आओ मिलकर कल को सजाएँ हम ।

निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
१९.०१.२०२२

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nishantchoubey

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