पर्वतों की गोद से निकलकर
सागर के सीने में समाती है ,
अपने मार्ग से गुजरने वाली नदियाँ
हम सभी का प्यास बुझाती है ।
चाहे कितनी भी रुकावटे आए
अपना मार्ग निकाल वो लेती है ,
चुनौतियों को अवसर में बदलने का
अति महत्वपूर्ण सीख हमें वो देती है ।
निरंतर चलते ही चले जाना
कहीं भी रुकना नहीं है ,
कितनी भी बड़ी मुश्किल आए
कभी भी झुकना नहीं है ।
कहीं तो एक पतली धार
कहीं रौद्र रूप धारण करती है ,
कहीं तो एक दरिया बन जाती
और कहीं निर्झर रूप धर बहती है ।
एक ही नदी कई रूपों में
देखने हमें मिल जाती है ,
जहाँ जैसी भी परिस्थिति हो
वहाँ वैसे रूप में ढल जाती है ।
नदियाँ परिस्थितियों के अनुरूप
हमें ढलना सिखलाती है ,
अपने लक्ष्य के ओर निरंतर
हमें बढ़ना बतलाती है ।
नदियाँ अपने जीवन में
दूसरों के काम ही आती है ,
कभी लोगों की प्यास बुझाती
तो कभी उनकी गन्दगी मिटाती है ।
कहीं सूखे धरा की हरियाली
तो कहीं खेतों में फसल बन खिलती है ,
अगर ध्यान से देखा जाए तो
जीवन के हर एक रूप में वो मिलती है ।
आओ संकल्प कर निरंतर बढे
और दूसरों के काम आए ,
नदियाँ के जीवन के सीख
हम अपने जीवन में अपनाए ।
निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
१८.०९.२०२१